...

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वो गरीब लड़की।।
मन की व्यथा मन को मार रही है
किसी तरह वो जिंदगी गुजार रही है

उसे भी शौक तो होगा सजने संवरने का
किसी और के बालों को वो संवार रही है

यौवन है गदराया दिल भी होगा मदराया
दिल की बातों को आंसुओं से बुहार रही है

बड़ी मासूमियत से देखती है मालकिन को
गरीबी में अमीरी का अक्स जैसे उतार रही है

कोई भी देखता है देखता रह जाता है यौवन
मसलना हर कोई चाहता उसे वो तार रही है

पता उसको है कई हाथों से हो कर गुजरेगी
दर्द देगा बहुत जमाना ...खुद से हार रही है
© Abhi