स्त्री का जीवन..
सजा के लाल चुनर देवी बना दिया
उड़ा वही चुनर दरिंदगी दिखा दिया
जन्म देने से पहले आंखें मूंद दी
जन्म देकर भी जिंदगी बेड़ियों में जकड़ दी
समाज क्या कहेगा कहकर आगे नहीं बढ़ने दिया
क्रूरता के जाल में उसका जीवन खत्म कर दिया..
कहकर,उसका खून अपवित्र है
उसको मंदिर,मस्जिद नहीं जाने दिया
नौ दुर्गा का रूप मान उसको...
उड़ा वही चुनर दरिंदगी दिखा दिया
जन्म देने से पहले आंखें मूंद दी
जन्म देकर भी जिंदगी बेड़ियों में जकड़ दी
समाज क्या कहेगा कहकर आगे नहीं बढ़ने दिया
क्रूरता के जाल में उसका जीवन खत्म कर दिया..
कहकर,उसका खून अपवित्र है
उसको मंदिर,मस्जिद नहीं जाने दिया
नौ दुर्गा का रूप मान उसको...