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जज्बा मोहब्बत का,,,
खुशी गम दोनों दिए एक ही लम्हे के साथ,,
हाल तो पूछा मगर तल्ख लहजे के साथ,,
हमने खत में वजह पूछी जो खामोशी की,,
जवाब आया मगर खाली सफहे के साथ,,
क्ल्ब ए मुज़तर कैसे समझे इन साजिशों को,
कौन बताए के खेल खेला गया जज्बे के साथ,,,
शिकवे जो बढ़ जाएं किसी ताल्लुक में,,
तो राब्ते टुटते हैं फकत एक जूमले के साथ,,
ख्वाब ख्वाहिशें सब बिखरी पड़ी है,,
मोहब्बत टूट गई मेरे हौसले के साथ,,
© Tahrim
हाल तो पूछा मगर तल्ख लहजे के साथ,,
हमने खत में वजह पूछी जो खामोशी की,,
जवाब आया मगर खाली सफहे के साथ,,
क्ल्ब ए मुज़तर कैसे समझे इन साजिशों को,
कौन बताए के खेल खेला गया जज्बे के साथ,,,
शिकवे जो बढ़ जाएं किसी ताल्लुक में,,
तो राब्ते टुटते हैं फकत एक जूमले के साथ,,
ख्वाब ख्वाहिशें सब बिखरी पड़ी है,,
मोहब्बत टूट गई मेरे हौसले के साथ,,
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