...

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मैं क्या करूँ?
तुम्हारे प्यार पर प्यार से भी ज़यादा प्यार आऐ तो क्या करूँ?
पंछी बन, तुम्हारी बाग़िया में उड़ आने को मन ललचाए, तो क्या करूँ?
दूर-दूर से देख कर तुझे ,तृष्णा बढ़ती जाए, तो क्या करूँ?
तेरे ख्यालों के पार कोई और भी जहां है, दिल समझ न पाए, तो क्या करूँ?
क्या तेरा और मेरा वजूद एक है? क्या तेरी और मेरी रूह का फर्क मिट चुका है?
ये सवाल मन पर हावी हो जाए, तो क्या करूँ?
ज़माने की बंदिशें अपनी कमजो़रियों का लांघ कर, क्या कभी तेरी चौखट देखनी नसीब होगी मुझे?
ये सोच-सोच के घबराऊं, तो क्या करूँ?
मेरी मोहब्बत वाली नब्ज का आख़िरी कतरा-ए-लहू तुझ पर क़ुर्बान कर बैठी हूँ,
कोई और अब न भाए, तो क्या करूं?
Aapki Sehzadi
#Love&love #missyou
© Haniya kaur