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प्रेम और मुक्ति का राह
#प्रेमऔरमुक्ति
प्रेम ही एक मात्र राह
मुक्ति का
सच्चे मन से
कर कोई कार्य सिद्ध
या प्रेम लगन मगन से त्याग तपस्या खुद से ख़ुद को मिला
समा लेते हैं
अंत खड़ी मैं

प्रेम कि परिभाषा समझाएं क्या
वह ख़ुद में अधूरा हों पूर्ण हैं

कहीं बिन मांगे सारे संसार का प्रेम रुप में मिल जाते हैं

तो कहीं इंतज़ार और वर्षों का जुदाई

प्रेम अर्ध समझना हैं तो

समझे पहले
राधे कृष्णा जी का प्रेण
अनुखा प्रेम एक दूसरे के रंग में रंग
जहां भी रहे हमेशा संग प्रीत लगा
ना हों के भी साथ

प्रेम का नाम है
हमारे बाबा माई
शिवशक्ति

प्रेम और भक्ति कि राह भी प्रेम रुप हैं
मुक्ति का धाम यात्रा

बबिता कुमारी
© story writing