...

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"अंशुमाली"
अंशुमाली हो रहे हैं सदृश,
लेकर हाथों में सुवर्ण कलश,
बिखर जाएगा सोना नभ पर,
प्रकृति हृदय जाएगा हुलस!!

नवचेतन का होगा आविर्भाव,
सूर्य प्रभा का है ऐसा प्रभाव,
जीवन होगा चहुंओर व्याप्त,
अपूर्व रश्मियों का होगा प्रादुर्भाव!!

जागृत है धरा तुम्हारी अनुभा से,
लुभाते हो तुम सिंदुरी आभा से,
सृष्टि का प्रत्येक जीव होता है
प्रभावित रवि तुम्हारी विभा से!!

नित प्राकट्य पर तुम्हारे है नमन,
हृदय करता है उर्जा का आचमन,
तम का अस्तित्व होगा तिरोहित,
प्रखर उजास से भर जाएगा अंतर्मन!!
© "मनु"