...

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जीते जागते
जीने की उपमा जागने को दी गयी है
जागते हुए जीना
और मर कर सो जाना
हमेसा के लिए
पर इस शब्द युगल के विपरीत ही
होता है अकसर
और ज्यादतर लोग
सोते हुए जी रहे है,
जैसे की मैं।

अपने चारों तरफ हो रही
घटनाओं को नज़रअंदाज़ कर
मैं जी रहा हूँ
अपने बुलबुले में
ओरों की अपेक्षाओं को अनदेखा कर
बांध रहा हूँ पुल ख़्वाबों के
घास के तिनको से
कही बातों को सुन कर अनसुना करता चल रहा हूँ
बदलाव चाहने वालों के संग खड़ा हूँ
और उन्हें झूठा दिलासा दिये जा रहा हूँ
कि मैं कुछ कर रहा हूँ
अपने लिए, उनके लिए
उनका जीवन मेरे फैसलों पर टिका है
और मेरा उनके होने पर
सौहार्द से, संपन्न, संतुष्ट
पर मैं यह सब यथार्थ करने के लिए
कुछ कर भी तो नहीं रहा
बस लिखे जा रहा हूँ
और जब मैं ये लिख रहा हूँ
मूझे कोई ग्लानि नहीं महसूस हो रही
मेरा हृदय नहीं फट रहा दुख से
माथे पर पसीना नहीं, हाथ नहीं कांप रहें
और मैं अपने पूरे होश में
कपाल को कर पर टिकाये
बिना एक बार पलकों को झपकाये
लिखे जा रहा हूँ।

मैं जीते जी सो जो रहा हूँ!
मैं जिन्दा भी हूँ या नहीं ?

© meteorite