...

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सब ख़त्म हो गया।
अब क्या बाकी अब, क्या बाकी

सब ख़त्म हो गया, दिल तो था नहीं पत्थर भी अब टूट कर बिखर गया।

करोड़ो मैं ना मिल सके हम किसी गर्त मैं फसें रहे।

लाखों मैं एक हुँ यें वजह मैं ना बन सकी तभी आज सब खत्म हो गया।

जब मैं गर्त से बाहर निकलकर देखा मुझे लगा कोई रोशन करता हैं मेरे गर्त वाले जहाँ को, आज उसने हाथ पकड़कर जब खींचा तो पता चला की

वो तो खाजने की तलाश मैं था।

हम खजाना तो नहीं थे इसलियें उनकी तलाश ख़त्म हुई।

अब वो खजाना कैसे पाएंगे हमें क्या पता, पर आज हमारे गर्त का रोशनदान खत्म हुआ।

रोशन करने वाली रौशनी ख़त्म हुई।

उनकी तलाश और हमारी....... गलतफहमी ख़त्म हुई।


सलामत रहे हमेशा खजाने की तालश करने वाला, उनकी तालश ख़त्म हो या न हो उनका हमारी गलतफहमी ख़त्म करने का शुक्रिया।

आज हमारी समस्या का आधा हिस्सा खत्म हुआ।

झूठी बातों का किस्सा ख़त्म हुआ।

आज बस मुझमे मेरा सब ख़त्म हुआ।

जीने की वजह ना थीं कोई जीने की वजह बना ली मेरे गर्त को रोशन करने वाले को अपनी मंज़िल बना लिया।

वैसे तो मंज़िले चुनने के बाद मैं बदलती नहीं तो आज कैसे बदलूं बस मंज़िल को पाने का रास्ता बदल लिया।

मैंने मेरी मज़िल को खुशी देने के लिए ख़ुद का सब ख़त्म किया।

अब तू जहाँ मैं वहाँ तेरा कहाँ हर बार होगा क्यूँकि अब सिर्फ तू हैं तू ही रहेगा।

मेरा तो आज हर निशांन मिट गया।

मैली मिट्टी थीं शायद मैं चलो तेरा जहाँ तो आज साफ हुआ।

मेरा सब ख़त्म होने से तेरा सब अच्छा हो गया।

अब तो तू ख़ुश रहेगा ना, जब आवाज़ ना होंगी।

खजाने को पाने की चाह मैं ढेर कोशिश न करनी होंगी।

अब तो मिट्टी जों सुखी आवाज़ करतीं थीं तुझे खजाना लगती थीं आज वो मिट्टी का हर हिस्सा ख़त्म हुआ।

अब तेरी जिंदगी का दुःखता और तंग करता हुआ किस्सा ख़त्म हुआ।

ख़ुश हुँ तेरे लिए बहुत तूने कम से कम सच कहा।

माटी की होती तो भी गम ना था पर मुझे तो आज पता चला माटी हुँ यें भी मुझे भ्रम था।

मेरा तो वजूद नहीं था मैं तो बीती एक बात थीं और आज बात का वो किस्सा ख़त्म हुआ।

मेरा सब ख़त्म हुआ और तुझे तेरा ख़ाजाना मिल गया।

मेरे हर सवाल से तुझे छुटकारा मिल गया।

अच्छा हुआ तो मेरा सब खत्म हुआ।

मिलने को अब मिलेंगे बस अब तेरे खजाने की बात होंगी।

जों तू रौशनी दिखायेगा तो तेरे लिए तो हीरों की बरसात होंगी।

मेरा क्या बचा, मैं तो धुल की वो कण थीं जिसको मिट्टी भी नहीं अपनाती।

आज धुल का कण जों लोगों की आँखों मैं चुभता था उसका वजूद मिट गया।

अब जियो ना जियो क्या फर्क पड़ता हैं।

आज तो बस मेरा हुआ हिसाब हैं।

तेरा उधार बाकी हैं उसे चुकाना हैं।

क़र्ज़ जों अनजाने मैं दिया उसको चुकाना हैं।

पर डरना नहीं अभी भी मेरी लाश बाकी हैं।

भले ही आज मेरी रूह का हर हिस्सा ख़त्म हुआ।

आज बस इतना ही खत्म हुआ।

तेरा सब हैं बाकी बस, जों बकवास था वहीं गया।


तू तो मसीहा और महान इंसान हैं।

एक धुल ले कण को गर्त जैसी जगह मैं। रोशन करता हैं। तेरा क्यों कुछ ख़त्म हो।

दुआ हैं मेरी जों बाकी हैं मुझमे वो भी बस ख़त्म हो।

अब भी कहती हुँ सब ख़त्म होकर एक चीज़ बाकी हैं।

तेरी नज़रो मैं छिप्पे दर्द का एक हिस्सा मुझमे बाकी हैं, उस दर्द की दावा तूने मुझे चुना तो क्या हुआ।

मैं जहर निकली तेरा दर्द का इलाज यें जहर ही करेगा।

क्यूँकि जहर जों था वो ख़त्म हुआ।

जतन अच्छा किया था इसलिए आज जहर अलग होकर तेरी दावा तुझे मिल गई।

मेरा जहर बेचारा कत्ल का इरादा नहीं रखता था फिर भी नाम तो उसका जहर था इसलिए आज जहर का किस्सा ख़त्म हुआ।


👏👏👏👏👏तालिया तालिया तालिया आज तू जीत गया।

ख़ुश हैं यें दिल तुझे आज आराम मिला।

अब तुझे तकलीफ ना होंगी।

बेवजह की बातों से तेरा सामना ना होगा जहर का नाम सुनकर भी तकलीफ होती अच्छा हुआ ऐसे जहर का किस्सा ख़त्म हुआ।


मैं दुआ करतीं हुँ की जों हुआ हो सच हो कोई सपना ना हो।

अब तुझे तकलीफ ना हो।

आज मेरा मक़सद पूरा हुआ।

तुझे तेरी खुशी का मिला और मुझे तेरी खुशी से एक सवेरा मिल गया।

भले ही सब खत्म हो गया।

पर तेरा तो अब समय अच्छा होगा, तू अब हमेशा ख़ुश रहेगा।

अब अच्छा होगा।


the end🙏

sorry to all meri poem sayad koi smajhe nhi bs emotion aur sachhai ko kisi bhi taraha likh dena adadt hai

padhne ke liye thank you and sorry bhi. 😔 😔😔😔 i know this can be useless.


पर मुझे लिखना था 😔🙏सॉरी सबसे।


© Aarti kumari singh