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ठीक नहीं...✍️✍️ (कविता)
सफर जिन्दगी का अब ठीक नहीं,
मैं ठीक हूं पर, कुछ है जो ठीक नहीं

यूं तो बनती है जमाने में मेरी सबसे मगर,
कुछ अपने हैं जिनसे ताल्लुकात मेरे ठीक नहीं

यूं तो सोचता हूं की करूं मैं भी बहुत कुछ,
पर क्या करूं, जब हालात मेरे ठीक नहीं

ख्वाब पूरे करना तो ठीक है 'विनीत' मगर,
ख्वाब के लिए जिम्मेदारी छोड़ देना ठीक नहीं

© Vineet