सुनो....कुछ सच सा है
कैसे कहुँ सच है या झूठ,
मगर दिल कोसमझाया,
सुनो... कुछ सच सा है!
न विश्वास है किसी पर न उम्मीद की
रौशनी है, फिर भी दिल पर हाथ रख कर
कहा खुद से,
...कुछ सच सा है!!
नहीं कुछ कहने की चाह,
नहीं है.... कुछ लेने का मन.!
एक अजीब सी कशमकश
है जिंदगी मे,
न ही किसी से...
मगर दिल कोसमझाया,
सुनो... कुछ सच सा है!
न विश्वास है किसी पर न उम्मीद की
रौशनी है, फिर भी दिल पर हाथ रख कर
कहा खुद से,
...कुछ सच सा है!!
नहीं कुछ कहने की चाह,
नहीं है.... कुछ लेने का मन.!
एक अजीब सी कशमकश
है जिंदगी मे,
न ही किसी से...