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सुनो....कुछ सच सा है
कैसे कहुँ सच है या झूठ,
मगर दिल कोसमझाया,
सुनो... कुछ सच सा है!
न विश्वास है किसी पर न उम्मीद की
रौशनी है, फिर भी दिल पर हाथ रख कर
कहा खुद से,
...कुछ सच सा है!!
नहीं कुछ कहने की चाह,
नहीं है.... कुछ लेने का मन.!
एक अजीब सी कशमकश
है जिंदगी मे,
न ही किसी से लड़ने का मन,
न ही कुछ सुनने की उलझन!
बस शांत चित किये कहा...
कुछ सच सा है!!!
इस सच की क्षमता लिए
अकेले खड़े हैं,
किसी का मोह नहीं
अकेल लड़े हैं!
जिंदगी की पटरी सीधी नहीं
कई मोड़ो से गुजरती है,
एक चिता विश्वास की
रोज जलती है!
मगर फिर भी हम मरते नहीं.
लड़ते है,
गिरने का भी डर नहीं अब
ऐडियाँ घिस गयीं चलते चलते
मगर लगता है. कुछ सच बचा है!!!
जो एक दिन जीत जायेगा
....... कुछ सच सा है
© sangeeta ki diary
मगर दिल कोसमझाया,
सुनो... कुछ सच सा है!
न विश्वास है किसी पर न उम्मीद की
रौशनी है, फिर भी दिल पर हाथ रख कर
कहा खुद से,
...कुछ सच सा है!!
नहीं कुछ कहने की चाह,
नहीं है.... कुछ लेने का मन.!
एक अजीब सी कशमकश
है जिंदगी मे,
न ही किसी से लड़ने का मन,
न ही कुछ सुनने की उलझन!
बस शांत चित किये कहा...
कुछ सच सा है!!!
इस सच की क्षमता लिए
अकेले खड़े हैं,
किसी का मोह नहीं
अकेल लड़े हैं!
जिंदगी की पटरी सीधी नहीं
कई मोड़ो से गुजरती है,
एक चिता विश्वास की
रोज जलती है!
मगर फिर भी हम मरते नहीं.
लड़ते है,
गिरने का भी डर नहीं अब
ऐडियाँ घिस गयीं चलते चलते
मगर लगता है. कुछ सच बचा है!!!
जो एक दिन जीत जायेगा
....... कुछ सच सा है
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