...

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त्तेर चाल चुका
तीर
चाल चुका हैं.
बदनसीबी के तम्माम
इरादों पर..

और उम्मीद हैं . वो
मधुर मुस्कान
फिर खिल सकेगी
ख़ुशक हो चुके अधरों पर.

और लगता हैं
कल्पनाये और झवाब लें सकेगे आकार.
इस जीवन में और जी सकेगी. सर उठा कर