...

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शुभ जन्माष्टमी..
हर युग में आगमन हुआ, नारायण आपका
शंघनाद से एक बार फिर दिशाये हिला दो

सिर्फ एक रावण, और कोई एक कंस नहीं,
रक्तबीज से फैले अधर्म का अब नाश कर दो

धर्म अपना अस्तित्व खो बेमानी हो रहा है
अपनी जड़ो को बांधने में असमर्थ हो रहा है

सतयुग मे पुरषोत्तम स्वरूपा बन कर आये थे
धर्म जीवित था इसलिए अवतार पूर्ण कर पाए थे

द्वापर में अधर्म ने जड़े बना ली थी
छलिया रूप बना कर धर्म की नींव बचाई थी

इस बार तो चुनौतियों में आप भी घिर जायेंगे
सोलह कलाएँ, छल बल, सब कम पड़ जायेंगे

कलयुग अंगिनत सिर वाला कालिया नाग है
शिव सा तांडव ही अब उस पर निहित है

इंतेज़ार ना करना, कि कोई पुकारेगा तब आना है
इस बार बिना बुलाये ही आपको अवतरित होना है


© * नैna *