जो होता है होने दो.... भाग _2
वाह..!!
इतनी जल्दी अनूमान भी नही था
तुम्हारे रिप्लाई का...
कुछ सोच विचार लिया होता..
कदम बढाने से पहले
अंदाजा भी है..
कितनी कठिन डगर है ये..??
ओहो....
तो तुम हो संयोगिता..
मेरा भय अकारण ही नही था
आखिर तुम भी "स" की ही निकली...
इसे संयोग कहे या दुर्योग??
प्रकृति ये कैसा खेल खेल रही है
अब चाहे कुछ भी हो
आन पे बने मान पे बने या...
इतनी जल्दी अनूमान भी नही था
तुम्हारे रिप्लाई का...
कुछ सोच विचार लिया होता..
कदम बढाने से पहले
अंदाजा भी है..
कितनी कठिन डगर है ये..??
ओहो....
तो तुम हो संयोगिता..
मेरा भय अकारण ही नही था
आखिर तुम भी "स" की ही निकली...
इसे संयोग कहे या दुर्योग??
प्रकृति ये कैसा खेल खेल रही है
अब चाहे कुछ भी हो
आन पे बने मान पे बने या...