...

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सजा कातिल की।
हुआ था उसे सच्चा इश्क,
पर जमाने को,
वों बता न पाया।
संकोच हया में वो फंसा हुआ,
संस्कृति के ताने बानों में उलझा हुआ,
कैसे करूं आरंभ,
यह वो जान न सका।
जमाने को जानने की,
और सुनने की कोशिश में,
हर बार वो आहत हुआ।
चल न सका,
ज़माने के संग,
इसलिए वो और्थोडोक्सिकल कहलाया।
चांदी की जगमगाहट तले,
कराह रहा था विश्वास।
सारा समुदाय अब एक ओर चले,
तोड़ उसके मन की आस।
देखकर यह सब,
उसका नादान मन अब,
अक्सर सोचा करता,
क्या है कोई सजा,
उस कातिल की,
कत्ल जो,
अहसासों का है करता।
#brokenheart #love
© mere alfaaz