सजा कातिल की।
हुआ था उसे सच्चा इश्क,
पर जमाने को,
वों बता न पाया।
संकोच हया में वो फंसा हुआ,
संस्कृति के ताने बानों में उलझा हुआ,
कैसे करूं आरंभ,
यह वो जान न सका।
जमाने को जानने की,
और सुनने की कोशिश...
पर जमाने को,
वों बता न पाया।
संकोच हया में वो फंसा हुआ,
संस्कृति के ताने बानों में उलझा हुआ,
कैसे करूं आरंभ,
यह वो जान न सका।
जमाने को जानने की,
और सुनने की कोशिश...