मुलाकातें
#इंतज़ार
वो मुलाकातें बहुत याद आती है
वो यादें आज भी तड़पाती है
जब तुम मेरी खिड़कियों से गुजरती थी
मैं तुम में डूब जाया करता था
या कहीं खुदमें ही को जाया करता था
और तुम बस मौन की चादर ओढ़े
यूं ही मुस्कुरा दिया करती थी
वो सब बातें आज भी याद आती है
वो सब यादें आज भी मुस्काती है
जब तुम मुझसे बाते करते थकती ना थी
जब हम दिन रात एकदूजे में
करवटें लिए, आहटें भरे खो जाया करते थे
और दिन कब ढल जाता था
या नया सवेरा कब आ जाता था
इन सब बातों से बेअंजान, बेखबर थे
वो सब दिन आज भी याद आते है
वो सब पुराने दिन आज भी तड़पाते है
जब मैं तुम्हें छोड़ जाया करता था
बिन वजह ही, बालकनी में झांक जाया करता था
तुम्हें याद कर लिया करता था
तुम्हारी खूबसुरत सी तसवीर देख
सुहाने...
वो मुलाकातें बहुत याद आती है
वो यादें आज भी तड़पाती है
जब तुम मेरी खिड़कियों से गुजरती थी
मैं तुम में डूब जाया करता था
या कहीं खुदमें ही को जाया करता था
और तुम बस मौन की चादर ओढ़े
यूं ही मुस्कुरा दिया करती थी
वो सब बातें आज भी याद आती है
वो सब यादें आज भी मुस्काती है
जब तुम मुझसे बाते करते थकती ना थी
जब हम दिन रात एकदूजे में
करवटें लिए, आहटें भरे खो जाया करते थे
और दिन कब ढल जाता था
या नया सवेरा कब आ जाता था
इन सब बातों से बेअंजान, बेखबर थे
वो सब दिन आज भी याद आते है
वो सब पुराने दिन आज भी तड़पाते है
जब मैं तुम्हें छोड़ जाया करता था
बिन वजह ही, बालकनी में झांक जाया करता था
तुम्हें याद कर लिया करता था
तुम्हारी खूबसुरत सी तसवीर देख
सुहाने...