...

10 views

मैं इस जिंदगी से क्या चाहती हूं
वक्त के इशारों पर सब नाचते हैं
वक्त का गुलाम सब कोई होता है
मैं कभी किसी और की गुलाम नहीं बनना चाहती हूं
मैं खुद के मन से चलना चाहती हूं
जिंदगी को खुलकर जीना चाहती हूं
इसके लिए सारे जमाने से लड़ना पड़े तो लड़ जाऊंगी
पर सिर्फ मैं अपनी इच्छा से, अपने हिसाब से जीना चाहूंगी
मैं सिर्फ एक स्त्री के हक में निहित अधिकार नहीं
मैं अपने सारे मानवीय अधिकार को अपनी स्वतंत्रता से जीना चाहूंगी
क्योंकि यह जीवन मैं फिर से न पाऊंगी
इस जहां को छोड़ने से पहले मैं अपने सारी
ख्वाहिशों को मुकम्मल कर के इस जहां को अलविदा करना चाहूंगी


© Poetry Girl