...

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इतनी सी समझ होनी चाहिए!
घर कच्चा हो तो भी घर में किताबों से भरी इक गठरी होनी चाहिए,
फलक पर नाम लिखने की भी जुर्रत दिल में होनी चाहिए,
वो ज़बानी शमशीरें चलाते रहे बेशक तुम्हें खौफ़जदा करने के खातिर,
म्यान में तुम्हारी हरदम इल्म की दोधारी शमशीर होनी चाहिए,
कोई कोना न रहे किसी रूह का इल्म की रोशनी से खाली,
कलम में इक अलहदा, पुख़्ता किस्म की स्याही भी होनी चाहिए,
कुछ भी लिखने से पहले ज़रूर इक‌ ऐसी कोशिश होनी चाहिए,
रखें वो संभाल कर उधार का आफताब अपने मर्तबान में,
तुम्हारे चिराग की रोशनी अंधेरे दिलों में महसूस होनी चाहिए।

—Vijay Kumar
© Truly Chambyal