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अकेले..
परेशान हूं कभी किसी को बताया नहीं।
अपना दिल का हाल किसी को दिखाया नही।
लोग देखते है मेरी मुस्कुराहट
मुस्कुराहट के पीछे दफन आंसू को कभी किसी के सामने बहाया नही।
खुद के साथ खुद से लड़ना सीखा है
दोस्त तो बनाती नहीं हूं
पर जिसको बनाया उसको खो जाता देखा है ।
जिसको दोस्त माना उसको मोहब्बत हो गई
फिर में खुद ही बुरी हो गई ।
और पीछे हो गई ।
क्युकी दोस्ती वो de सकता नही था ।
मोहब्बत करने का मेरा इरादा नही था ।
कभी कभी हम लोगो से घिरे होते है
लेकिन इस भीड़ में एक भी अपना नही लगता है ।
इस भीड़ में सब अनजाना अजनबी सा लगता है ।
इस बंद कमरे में जब में खुद से बतलाती हूं
तो लोगो के बदले चेहरे के बारे में गुनगुनाती हूं
कैसे लोग बदल जाते है
जो अपने होते है वो भी पराए हो जाते है ।
हा माना अब में लोगो के पास नही जाती
और अगर कोई दोस्ती का हाथ बढ़ाता है
तो में अपना हाथ नही बढ़ाती।
क्युकी शायद आदत हो गई है अकेले रोने की ।
अकेले मुस्कुराने की ।
और खुद से बेवजह बाते करने की ।
शायद आदत हो गई है ..
kajal Pathak..
© All Rights Reserved
अपना दिल का हाल किसी को दिखाया नही।
लोग देखते है मेरी मुस्कुराहट
मुस्कुराहट के पीछे दफन आंसू को कभी किसी के सामने बहाया नही।
खुद के साथ खुद से लड़ना सीखा है
दोस्त तो बनाती नहीं हूं
पर जिसको बनाया उसको खो जाता देखा है ।
जिसको दोस्त माना उसको मोहब्बत हो गई
फिर में खुद ही बुरी हो गई ।
और पीछे हो गई ।
क्युकी दोस्ती वो de सकता नही था ।
मोहब्बत करने का मेरा इरादा नही था ।
कभी कभी हम लोगो से घिरे होते है
लेकिन इस भीड़ में एक भी अपना नही लगता है ।
इस भीड़ में सब अनजाना अजनबी सा लगता है ।
इस बंद कमरे में जब में खुद से बतलाती हूं
तो लोगो के बदले चेहरे के बारे में गुनगुनाती हूं
कैसे लोग बदल जाते है
जो अपने होते है वो भी पराए हो जाते है ।
हा माना अब में लोगो के पास नही जाती
और अगर कोई दोस्ती का हाथ बढ़ाता है
तो में अपना हाथ नही बढ़ाती।
क्युकी शायद आदत हो गई है अकेले रोने की ।
अकेले मुस्कुराने की ।
और खुद से बेवजह बाते करने की ।
शायद आदत हो गई है ..
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