...

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वो दिन
अम्रित वेले उठ जातीं,
नितनेम आप कर‌ लेतीं।
वह दिन हर दिन जैसा ही‌ था
पर‌‌ कुछ हठ‌ कर‌ ही लगता था।

कडाह प्रसाद सजाया आपने
पूजा कर भोग लगाया आपने
नितनेम की बाणी पढ़
की थी अरदास आपने।


भोजन भी बहुत खास बनाया आपने
जबकि हाथ आपका साथ न दे रहा था
जब हम बैठे करने को भोजन
सबने टोका आपको,ये कैसा है खाना?

दाल में नमक‌ ज्यादा था,
सब्जी फीकी-फीकी थी
प्रसाद में चीनी ही‌ भूल‌ गयीं
ये कैसा‌ खाना बना गयीं थीं?

पर पापा बैठे मजे ले रहे
खा रहे थे वे पेट भर कर
जब‌ हमने देखा उनकी ओर
बोले आज है सिल्वर ज्यूबली हमारी।

न करता उनका हाथ काम था
फिर भी पति को खिलाना‌ उनका धर्म था
कैसे भूलेगा‌‌ दिन‌ वो मां?
कर्म आपके श्रेष्ठ जो‌ थे मां।।