...

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बेटियां
कौन कहता है कि परायी होती है बेटियां ,
वो तो अपने पिता का गुरूर, मां की
परछाई होती है।
बेटियों से ही तो घर में रौनक होती है,
उनमें हर रिश्ता निभाने की ताकत होती है।

लाड़ली होती हैं वो अपने मां बाप की,
पलकों की छाव में पली बढ़ी हुई।
और ससुराल वाले कहते हैं कि दिया ही क्या
तुम्हारे घर वालों ने,
जब लड़की की शादी होती है ।

कहते हैं लक्ष्मी का रूप होती हैं बेटियां ,
मानते भी हैं बहुत हद तक लोग बस अपने घर की
बेटियों को ही,
पर कुछ घरों में होता अभी भेदभाव ही है...
अपनी बेटियों को तो पलकों पर बिठा
कर रखते हैं ,
फिर लड़की के ससुराल वाले ये क्यूं नहीं समझ
पाते कि उनकी बहुएं भी किसी की
होती हैं बेटियां...


© Jaya Tripathi