...

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' बस बहुत है' करने लगे हो
हर बात पर अगर मगर करने की आदत लगी है,
जज़्बातों को दिल में धरने की फितरत लगी है,
अभी तो शुरूआत है मोहब्बत की,
और तुम....
' बस बहुत है ' करने लगे हो
लगता है अभी से डरने लगे हो।

दिल के एहसास जीने लगे हैं,
विचार और भाव सब करीने लगे हैं,
अभी तो छलकी है मनुहार की प्याली,
और तुम....
' बस बहुत है ' करने लगे हो
लगता है अभी से डरने लगे हो।

सांसों की डोरी उलझने लगी है,
नैन मिले तो बात बनती सी लगी है,
उतरा हूं जज्बात थामे वफा के मैदान में,
और तुम....
बस बहुत है करने लगे हो
लगता है अभी से डरने लगे हो।

मौसम ,यौवन और जीवन में होड़ सी लगी है,
धोखा है या फिर ये दिल की लगी है,
अभी तो पसरी है काली जुल्फों की सांझ,
और तुम....
' बस बहुत है ' करने लगे हो

तुम्हारे लिए आस मन से लगी है,
पाना है तुम्हें ये अरदास रब से लगी है,
जाने क्यूं याद आता है पुराना बिछड़ना,
और तुम....
अधरों पे रख के हाथ,
' बस बहुत है ' कहने लगे हो
लगता है अभी से डरने लगे हो।
पहले से ही किनारा करने लगे हो।।



© Tarun.k.pathak