...

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अखण्ड भारत
मैं काशी कहूँ, तुम सुकून समझना
मैं शिव कहूँ, तुम मरहम समझना

मैं बृज कहूँ, तुम रंगबाज़ समझना
मैं कान्हा कहूँ, तुम अंदर के शिशु को समझना

मैं अयोध्या कहूँ, तुम भाव समझना
मैं राम कहूँ, तुम मेरे अश्रु समझना

मैं बागेश्वर धाम कहूँ, तुम प्रेम समझना
मैं हनुमान कहूँ, तुम भक्ति समझना

मैं कश्मीर कहूँ, तुम स्वर्ग समझना
मैं कन्याकुमारी कहूँ, तुम स्वर्ग की सीढ़ी समझना

मैं पड़ोसी मुल्क कहूँ, तुम भारत का पुत्र समझना
मैं सपना कहूँ, तुम अखंड भारत समझना

© vagabondscribbler