ग़ज़ल
मुझे दुःख इतना फक़त इक बात का है,
ये मुद्दा शायरी का नहीं, मेरे जज़्बात का है।
जो हाल-ए-दिल को लफ्ज़ो में, उसको मैं बयाँ कर दूँ,
समझ के शेर, देते...
ये मुद्दा शायरी का नहीं, मेरे जज़्बात का है।
जो हाल-ए-दिल को लफ्ज़ो में, उसको मैं बयाँ कर दूँ,
समझ के शेर, देते...