...

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ग़ज़ल
हमेशा मर्द ही पिसता रहा है
जहाँ की भीड़ में तन्हा रहा है
नहीं आया बचाने कोई उसको
वो ख़ातिर अपनों के लड़ता रहा है

लुभाया झूठ ने सबको...