...

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फेसबुक प्रोफाइल
ना दिन सोया ना रात 😔
20 दिन में ही आंखों को मिल गई औकात😲
मां भाई पत्नी से करता रहा बहाना😑
कि हमारे फ्रेंड्स देंगे लाइक❤️और शेयर✈️ का नजराना
पर आना जाना लगा रहा सभी के फोटू का 😁
कोई कमर💃हिलाती, कोई गाल 🤔पिचकाता
थक गया भाई रे दांत देख देखकर मोटू का😬
लेकिन सच्चा टाइम लॉस🤸
हजारों रिक्वेस्ट को करता रहा पास 🙋
बन गए हजार के हजार दोस्त🤝
केवल अपना मुंह दिखाने को💀
भाई , मैं मुंह देख कर क्या करूंगा खाक👄
न नाम जानता ना प्रोफाइल पहचानता 🦉
किसी किसी का तो जेंडर भी कम था🐛
कभी नाम मेल 🌡️तो जेंडर फीमेल 💍
कभी नाम फीमेल 💍तो जेंडर ही मेल🌡️
कहा वाह रे फेसबुक🙏🏼
सब झूठ ✍️
लोग भी झूठे🤳 काम भी झूठा👎
पर अनूठा सारा कारनामा👍🏼 -
केवल अपने आप को दिखाना🤓
पढ़ने की तो किसी को फुर्सत नहीं🤬
देखने की भी फुर्सत किसी किसी को 😈
'ली' 🧘को 'प्रीति' को🙎
'कृष्णा' को और 'किंकर' को कौन देखता 🤾
बस इसी मन मोद में - कि हमें भी कोई देखे🧟
हमें भी कोई देखेगा👸
लेकिन नहीं रिक्वेस्ट सेंड 🔜और ओके🆗 का रिश्ता
जैसे हो गया आजकल रिलेशनशिप 👭का पिस्ता
कोई भी खाए पर एक ही बार 😎
फिर तू भी घर 😏
और मैं भी चली बार🧜👜
कोई तो बेदर्द मर्द , परमगर्ज या फिर सरदर्द की तरह🙉
तो हाल-चाल 🖐️भी महीनों में
पर अक्सर फ्रेंड का कॉलम🥫 भरिए
केवल 200 दोस्त का 600 पोस्ट पढ़ने में 10 घंटे पार 🤷
तब तक फिर आएगा पोस्ट हजार🙌
किसी ग्रुप में तो भर्ती नहीं है 👋
और किसी में कोई 'पड़ती'🤙 नहीं है
मुझे तो सोच सोच कर लग गई बुखार 😨
सोचना बार-बार तू ही मेरे यार👉👈



© शैलेंद्र मिश्र 'शाश्वत'