दिल अब तन्हा सा रहने लगा है
न जाने क्यों ये दिल अब तन्हा सा रहने लगा है,
भीड़ में भी अब खुद को सुनसान सा पाने लगा है।
कभी जो हंसते थे बिना वजह, अब वही हंसी खोने लगी है,
जिंदगी के इस सफर में, खुद को ही अजनबी समझने लगा है।
© नि:शब्द
भीड़ में भी अब खुद को सुनसान सा पाने लगा है।
कभी जो हंसते थे बिना वजह, अब वही हंसी खोने लगी है,
जिंदगी के इस सफर में, खुद को ही अजनबी समझने लगा है।
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