मूक माता पिता....
अब रिश्तों मे कुछ भी भावनात्मक एहसास नही रहा, कारण ढुढने की कोशिश मे
जींदगी गुजर गयी ...
संतान को जन्म देते वक्त जो दर्द माँ को सहना पडता है वो यदि संतान थोडा सा भी अनुभव
कर ले तो शायद ये स्थिति न हो।
बच्चे माँ बाप को इतना बेबस कर देते है कि माँ बाप
मूक हो जाते है ऐसे जैसे बेजुबान पशू हलाल के समय रहता है, पर बच्चे समझते है मेरे डर से
कुछ नही बोल सकते मै कुछ भी करूँ कही भी जाउं , गलत करते देखकर माँ बाप बच्चे के मोह मे खून के आंसू बहाने पर मजबूर होते है, कभी हिम्मत करके कुछ मुह से निकाला नही कि बच्चे
ऐसे कटु वचन बोलकर चुप करा देते है, फिर माँ बाप अपनी जुबान पे ताला लगा लेते है, और बच्चे समझते है मै जीत गया , पर क्या ऐसे बच्चे जीवन मे सफल हो पाते है?? जिस उंगली को पकडके चलना सिखते है उसको ही तोड देते है। जो बोलना...
जींदगी गुजर गयी ...
संतान को जन्म देते वक्त जो दर्द माँ को सहना पडता है वो यदि संतान थोडा सा भी अनुभव
कर ले तो शायद ये स्थिति न हो।
बच्चे माँ बाप को इतना बेबस कर देते है कि माँ बाप
मूक हो जाते है ऐसे जैसे बेजुबान पशू हलाल के समय रहता है, पर बच्चे समझते है मेरे डर से
कुछ नही बोल सकते मै कुछ भी करूँ कही भी जाउं , गलत करते देखकर माँ बाप बच्चे के मोह मे खून के आंसू बहाने पर मजबूर होते है, कभी हिम्मत करके कुछ मुह से निकाला नही कि बच्चे
ऐसे कटु वचन बोलकर चुप करा देते है, फिर माँ बाप अपनी जुबान पे ताला लगा लेते है, और बच्चे समझते है मै जीत गया , पर क्या ऐसे बच्चे जीवन मे सफल हो पाते है?? जिस उंगली को पकडके चलना सिखते है उसको ही तोड देते है। जो बोलना...