...

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जितना तुमको समझता हूं
जितना तुमको समझता हूं
उतना तुम हो सरल कहां
मटक-मटक कर चलती हो
तुम हो बलशाली निर्बल कहां
जितना तुमको,,,,,

तुम धैर्य साधकर खड़ी रहती हो
तुम हो उक्ताने वाली गरल कहां
मासूम सी चेहरे भले दिखती है तेरी
लेकिन तुम हो मासूम कहां
जितना तुमको,,,,,

टेढ़ी उंगली से घी निकाल लेती हो
तुम हो कठोर दयालु कहां
हर जगह डट कर खड़ी हो जाती हो
तुम हो सफल खिलाड़ी विफल कहां
जितना तुमको,,,,,

तेरी तारीफ करूं मैं कितनी
तुम हो तारीफ के काबिल तुझ में दुर्व्यवहार कहां
तुम प्यारी मासूम कली राज दुलारी
तेरे जैसा इस धारा में और प्यारा कौन यहां
जितना तुमको,,,,,

तुम जन्नत सी दीवानगी हो
तेरी सूरत जैसी सीरत दिखेगी और कहां
मैं पागल हूं सच में तेरे लिए
तुम्हें ऐसा पागल और मिलेगा कहां
जितना तुमको,,,,,

तेरी चेहरा मेरी नज़रों से उतरती नहीं
तेरी ख्वाब और कहीं खिलेगा कहां
मेरी बाग मेरी बगीचे में आ जा तू
तुम्हें मेरे जैसा प्यार करने वाला और मिलेगा कहां
जितना तुमको,,,,,

तुम आंखें आंखों से जीत ली हमें
हमारे जैसा दीवाना तुम्हें मिलेगा कहां
तेरी चलचित्र चल रही है मेरी आंखों में
मेरी आंखों को तुम बंद करोगी जानेमन कहां
जितना तुमको,,,,,

तुम्हें फुर्सत से यह निहारते है
तुम्हें ऐसा प्यारा मोहब्बत करने वाला मिलेगा कहां
तेरी अनु उपस्थिति में जलते हैं इनके दिल
ऐसा दिलदार दिवाना तुम्हें सारे जहां में मिलेगा कहां
जितना तुमको,,,,,

संदीप कुमार अररिया बिहार
© Sandeep Kumar