...

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कितने दीन हो गए
कितने दीन हो गए
मेने तुम पर कोई कविता नही लिखी
और सच कहूं तो
लिखने का मन नहीं हुआ

जो लिखता तो सब्दो से
धोखा धड़ी होती बस


कितने दीन हो गए
जीवन नही जिया
और जीवन जीने की
उत्कुष्टा नही हुई

जो जिया वो मौत से
लुका छिपी बस

कितने दीन हो गए
तुम से नही मिला न बात की
लेकिन तुमसे मिलने की बात करने की इच्छा भी नहीं हुई

जितना मिला वो मिलने की कल्पना थी बस
© Lotus 🪷