...

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प्रेम
जानती हूँ !
जब होगा
तो वो
इस तरह से नहीं होगा
प्रेम को
परिभाषा के दायरों में बांधना
ये मुझसे नहीं होगा....
जानती हूँ!
जब भी
जीवन में प्रेम दस्तक देगा
तो वो
मुझे जिंदगी में उन्मुक्त हो
जीना सीखाएगा....
ये जो बांध रखा है
ख़ामोशी की डोरियों
से मैंने ख़ुद को,
वो मेरे सारे बंधन खोल देगा...
कागज़ों पर अंकित
मेरे हर अहसास को वो
गीत का रूप देगा,
हाँ ! जानती हूँ;
प्रेम जब होगा
तो फ़िर और
कुछ भी न होगा ....!


© संवेदना🌼