तुम कोई समंदर तो नही।
क्यो हर ज़गह हम तुम्हे ही तलाशें,
तुम कोई खुबसूरत मंजर तो नही।
बहुत डूब चुके है तुम्हारी यादों में,
इंसान हो...
तुम कोई खुबसूरत मंजर तो नही।
बहुत डूब चुके है तुम्हारी यादों में,
इंसान हो...