...

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काश मैं तुमसे कह पाती
काश मैं तुमसे कह पाती कि...
मुझे भी अच्छा लगता है
जब बातें तुम मुझसे करते हो
कुछ अपनी कहते कुछ मेरी सुनते
यूँ साथ में वक़्त बिताते हो...

काश मैं तुमसे कह पाती कि...
बेचैन बहुत ही रहते है
जब बिन कुछ बोले बिन कुछ सुने
यूँ दिन बीतते रहते है
जब तुम अनदेखा कर देते हो
सवाल ये दिल में उठता है
प्यारा सा बंधन है ये कोई
या ज़बरदस्ती का रिश्ता है...

काश मैं तुमसे कह पाती कि...
मेरा दिल भी करता है
जब हो जाऊं गुस्सा मैं
तुम आके मुझे मनाओ
अपनी प्यारी मीठी बातों से
दिल मेरा बहलाओ
तुमसे ही तो दिल ये मेरा
अब हँसता और रोता है
तेरी कही हर इक बात का
असर यूँ गहरा होता है..

काश मैं तुमसे कह पाती कि....
दिल पर बहुत ही लगता है
जिसको तुमने चाहा हो
जब वो ही अनदेखा करता है
हर पल अपनी कल्पनाओं में
तुमसे बातें करती हुँ
अपनी ही बनाई हुई
इक अलग सी दुनिया में रहती हुँ..

काश मैं तुमसे कह पाती....
माना अपनी भावनाओं को
खुलकर नहीं कह पाती हुँ
पर मतलब इसका यह तो नहीं कि
प्यार नहीं मैं करती हुँ
चाहती हुँ कि बिन बोले ही
मेरी हर बात को समझो तुम
मेरी सारी आशंकाओं को
इक पल में ही कर दो गुम
काश मैं तुमसे कह पाती.....
© D!ta