उदास शाम।।।
तुझे लिखूं, पढूं और सोचू
निकलती हूं फिर घूमने
बस अभ यही काम है।।।
वैसे तो बहुत आम इन्सान हूं मैं
पर मुहब्बत के शहर में
अभ मेरा भी नाम है।।।
पता नहीं था पहले,कि,
यहां रोज ही मुस्कराता दिन
और उदास सी शाम है।।।
© PM
निकलती हूं फिर घूमने
बस अभ यही काम है।।।
वैसे तो बहुत आम इन्सान हूं मैं
पर मुहब्बत के शहर में
अभ मेरा भी नाम है।।।
पता नहीं था पहले,कि,
यहां रोज ही मुस्कराता दिन
और उदास सी शाम है।।।
© PM
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