...

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ख़ामोशी
ख़ामोशी.. तुम्हारी ख़ामोशी ही सेह नहीं पाता हूं
गुस्सा करो.. चिल्लाओ.. मारो.. बस ये चुप्पी सेह नहीं पाता हूं
सिले हुए लफ़्ज़.. बेशब्द ज़ुबान.. सेह नहीं पाता हूं
बात तो करना चाहता हूं.. डरता हूं.. इसलिए कह नहीं पाता हूं

अब यह ख़ामोशी सही नहीं जाती.. बोल दो
तोड़ भी दो चुप्पी.. कह भी दो दिल की बात
हां होगी तो .. दुनिया की हर मुश्किल पार कर लूंगा
ना होगी.. तो ज़िंदगी तुम्हारी यादों के सहारे पार कर लूंगा
© prasanna