परिवर्तन - प्रिय
प्रेम-सुधा के सागर में
कुछ बूंद गरल भी हो तो क्या !
सौम्य पुष्पों के एक वन में
कुछ कंटक भी गर हो तो क्या !
क्या भेद उसे जो जीवन को
प्रतिदिन उल्लास से जीता है ,
जो प्रभावहीन ,...
कुछ बूंद गरल भी हो तो क्या !
सौम्य पुष्पों के एक वन में
कुछ कंटक भी गर हो तो क्या !
क्या भेद उसे जो जीवन को
प्रतिदिन उल्लास से जीता है ,
जो प्रभावहीन ,...