...

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-: आख़री-ख्वाब :-
गुरबत दिल से दिली बाते करके दिल ललचाया,
मन ही मन में ख्याली पुलाव बनाया,
हर पल हर समा सोचा याद करके,
तु अपना था या हम तेरे नहीं ,
पराये तुम थे तो ये सपने क्यों नहीं ,
क्यों तुम्हारी...