सवालों के कटघरे।
@सवालों के कटघरे@
सदाक़त फिर खड़ी है आज सवालों के कटघरे में।
और झूठ दलील पेश कर रहा है अबूझ ककहरे में।
सारे सबूत उसके ही, पल्लू में सारे गवाह मौजूद हैं,
सच्चाई सिसक रही है प्रतापी कुरूवंश के पहरे में।
डाल-डाल पर गिद्ध बैठे हैं, शकुनि जाल फेंक रहे,
कब तक द्रौपदी बुलायेगी मुरारी को सभा भरे में।
फ़क़त उजालों से ही...
सदाक़त फिर खड़ी है आज सवालों के कटघरे में।
और झूठ दलील पेश कर रहा है अबूझ ककहरे में।
सारे सबूत उसके ही, पल्लू में सारे गवाह मौजूद हैं,
सच्चाई सिसक रही है प्रतापी कुरूवंश के पहरे में।
डाल-डाल पर गिद्ध बैठे हैं, शकुनि जाल फेंक रहे,
कब तक द्रौपदी बुलायेगी मुरारी को सभा भरे में।
फ़क़त उजालों से ही...