दरख़्त
जाने उस दरख़्त में भला कौन सी मायूसी थी
जो खुद को तोड़े, सुंसानियत में भी टिकी रहती थी
मिट्टी की खुरदरी ज़मीं में भी मानो, तमाशबीन ज़िन्दगी जिए बैठी थी,
उसकी...
जो खुद को तोड़े, सुंसानियत में भी टिकी रहती थी
मिट्टी की खुरदरी ज़मीं में भी मानो, तमाशबीन ज़िन्दगी जिए बैठी थी,
उसकी...