...

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तुम
कभी सोचता हूं तुमको छू लूँ

साँसो को साँसो से पी लूँ !!


तुम्हारी बाँहो में खेलूँ
या
जिंदगी को फिर से जी लूँ !!


दिन को रातो में जी लूँ
या
ख्वाबो में सपनो से खेलूँ

कभी सोचता हूं तुमको छू लूँ -2

© रविन्द्र "समय"