...

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बिखर कर फिर संवर जाऊंगा मैं
#बिखर
निखर जाएगा समझौता कर ले,
बिखर जायेगा ना हठ कर बे;
शीशा कहा टिकता गिर कर रे,
बिखरना तो जिंदगी की सच्चाई है,
मगर बिखर के उठना मनुष्य के हौसलों की ऊंचाई है,
टूटा हूं आज तो क्या बात है,
कल खुद ब खुद बनने की तमन्ना भी है,
भरोसा है खुद पर इतना,
की तकदीर कितना भी तोड़े,
उठकर फिर खड़ा हो जाऊंगा.
बिखरा हूं अभी पर फिर भी नहीं बिखरा हूं मैं,