...

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किसी का नहीं मैं, न मेरा कोई
किसी का नहीं मैं, न मेरा कोई
मेरे जैसा भी होगा तन्हा कोई।

कहीं है समंदर है नदियाॅं कहीं
मगर सहरा में भी है रहता कोई।

नहीं है भरोसा किसी पे मुझे
किसी ने जो तोड़ा है वादा कोई।

तुम्हें चाहते थक गया हूॅं मैं अब
करेगा नहीं यूॅं खसारा कोई।

मेरे ख़्वाब भी हो मुकम्मल कभी
मैं भी ताकता हूॅं सितारा कोई।


© Shadab
सहरा= रेगिस्तान
ख़सारा= घाटा
122 122 122 12