...

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अपनी दोस्ती.!
फर्क नहीं पड़ता शाम चाहे, चाहे फिर सवेरा हो,
एकांत नहीं बल्कि घर चाहे तेरा, चाहे मेरा हो,
साथ बैठकर चाय पियें इससे बात लाजवाब नहीं।
••अपनी दोस्ती को लेकर मेरे जायदा बड़े ख्वाब नहीं।।
तेरी खूबसूरती की मिसाल दूं, तो दूं किस चीज से,
फुर्सत में तो बनाया ही खुदा ने और बनाया भी रीझ से,
तेरी तारीफ़ में नाम लूं तो उतना खूबसूरत गुलाब नही।
••अपनी दोस्ती को लेकर मेरे जायदा बड़े ख्वाब नहीं।।
चांद तारे तोड़कर तुम्हारे लिए ला नहीं सकता,
यह भी सच है मैं तुम्हें कभी रुला नहीं सकता,
जबकि सबके लिए मेरा ऐसा स्वभाव नहीं।
••अपनी दोस्ती को लेकर मेरे जायदा बड़े ख्वाब नहीं।।
© Dharminder Dhiman