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अगर-मगर
अगर - मगर कुछ तो कहा होगा?
उसके भी दिल में इश्क़ रहा होगा।
ग़म छलकते नहीं, आँसू बनकर,
दर्द-ए-दिल उसने भी सहा होगा।
जन्नत में भी आराम मिल जाएगा,
उसके पहलू-सा सुकूं कहाँ होगा?
खानदान के खौफ़ से जवाब ठहर गया,
ख़त तो उसने भी मेरा पढ़ा होगा ।
दफ़्न करना काग़ज़ साथ में मेरे,
जेब में ज़वाब उसने रखा होगा।
© Poetryhub4u
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