...

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ना सोचो
ना सोचो की क्या है भला, क्या बुरा है
ना सोचो कि है पाप क्या, पुण्य क्या है
ना सोचो की अपने तुम्हें क्या कहेंगे
ना सोचो की गैरों ने क्या कुछ कहा है।

ना सोचो की अंजाम क्या है वफा का
ना सोचो की दुनियां को मंजूर क्या है।
बनाओ खुद अपने लिए राहें,
ना सोचो जमाने का दस्तूर क्या है।

ना सोचो की नुकसान है या नफा है
ना सोचो की काटें मिलेंगे या कलियां
ना सोचो की वो करता है तुमसे प्यार, नफरत
ना सोचो की फिर आएगा वो तेरी गलियां।

ना सोचो की तुम जो भी करोगी
ये दुनियां तुम पर कितना हँसेगी
अगर है खुदा का सहारा तो यकीन रख
तेरी भी कश्ती किनारे ही लगेगी।