87 views
जिंद़गी
ज़िंदगी अब जीने लायक
नहीं रही
यहाँ प्यार बिकता हैं
बद़न की किमत भी
होती हैं
एहसास एक नाटक
होता हैं
एह़सान इक बड़ी
सच्चाई हैं
ज़िंदगी अब जीने लायक
नहीं रही
लोग आपस में मिलतें
भी हैं, मगर
लोग आपस में बातें
भी करतें हैं, मगर
स्वार्थ और नफ़े के ब़गैर
कोई मख़्सत नहीं होता
जिंदगी अब जीने लायक
नहीं रही
ख़ून के प्यासें इन
द़रिंदों की प्यास
मिटती नहीं
द़लाली इन्सांनों की
इनकी कभी ख़त्म
नहीं होती
पैसा कितना भीं क्यों
ट़टोल ले, मगर
समाधान इनका
कतई होता नहीं
जिंदगी अब जीने लायक
नहीं रही ।।
जिंदगी अब वो जिंदगी
नहीं रही............
© Subodh Digambar Joshi
नहीं रही
यहाँ प्यार बिकता हैं
बद़न की किमत भी
होती हैं
एहसास एक नाटक
होता हैं
एह़सान इक बड़ी
सच्चाई हैं
ज़िंदगी अब जीने लायक
नहीं रही
लोग आपस में मिलतें
भी हैं, मगर
लोग आपस में बातें
भी करतें हैं, मगर
स्वार्थ और नफ़े के ब़गैर
कोई मख़्सत नहीं होता
जिंदगी अब जीने लायक
नहीं रही
ख़ून के प्यासें इन
द़रिंदों की प्यास
मिटती नहीं
द़लाली इन्सांनों की
इनकी कभी ख़त्म
नहीं होती
पैसा कितना भीं क्यों
ट़टोल ले, मगर
समाधान इनका
कतई होता नहीं
जिंदगी अब जीने लायक
नहीं रही ।।
जिंदगी अब वो जिंदगी
नहीं रही............
© Subodh Digambar Joshi
Related Stories
66 Likes
14
Comments
66 Likes
14
Comments