...

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कशमकश
अनसुलझे सवालों के जवाब ढूंढता हूँ।
जो पूरे न हो सके, वह ख्वाब ढूंढता हूँ।।
जिंदगी की खुशहाली को,यह क्या हो गया है।
कहीं तो मिलेगा हल,वह किताब ढूंढता हूँ।।
मेरे जीवन की खुशी, उसके कदमों तले है।
जन्नत से भी हसीन, वह जनाब ढूंढता हूँ।।