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ध्यान लगाल्यों पेड़ बचाल्यों ( राजस्थानी गीत )
थोड़ी गलती थाकी , थोड़ी म्हारी जी
ध्यान लगाल्यों अब भी नहीं पड़सी भारी जी

०००
लाग गई जगा - जगा फैक्ट्रिया,ना जाणै अतरी काम चावै छै
दम घुटरयो मिनखां रो , सांस जरा भी नहीं आवै छै
निकळी धुंआ आसमान मै जहर फैलारी जी
ध्यान लगाल्यों अब भी नहीं पड़सी भारी जी

थोड़ी गलती थाकी , थोड़ी म्हारी जी
ध्यान लगाल्यों अब भी नहीं पड़सी भारी जी

०००
चाल गई या पॉलीथिन , बंद होग्या थैला कपड़ा का
लाग गया ढेर मौकळा, कचरा और चपड़ा का
गळै ना बळ पावै माटी री उर्वरता घटारी जी
ध्यान लगाल्यों अब भी नहीं पड़सी भारी जी

थोड़ी गलती थाकी , थोड़ी म्हारी जी
ध्यान लगाल्यों अब भी नहीं पड़सी भारी जी

०००
मैदान बणा दिया खेता नै ,काट दिया पेड़ सारा
क्य्या होवै बरखा बापड़ी, सुखंण नै तालाब आरा
के करस्यां बा नहरा को ज्यों सरकार खुदारी जी
ध्यान लगाल्यों अब भी नहीं पड़सी भारी जी

थोड़ी गलती थाकी , थोड़ी म्हारी जी
ध्यान लगाल्यों अब भी नहीं पड़सी भारी जी

०००
प्रकृती ही जान आपणी, इन थे बचाओं जी
होवै जद कोई शुभ काम ,पेड़ नया लगाओं जी
करके नई शुरुआत करद्यो जनहित मै जारी जी
ध्यान लगाल्यों अब भी नहीं पड़सी भारी जी

थोड़ी गलती थाकी , थोड़ी म्हारी जी
ध्यान लगाल्यों अब भी नहीं पड़सी भारी जी


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