मां भी कितनी अजीब होती है।।
मां भी कितनी अजीब होती है
पहले डांटती है
फिर गले लगा लेती है
मां भी कितनी अजीब होती है।
मां भी कितनी अजीब होती है
खुद को बुखार हो
तो हमे अपने से दूर कर देती है
और हमे बुखार हो
तो हमे अपने से चिपकाए रखती है
मां भी कितनी अजीब होती है।
मां भी कितनी अजीब होती है
बोलो की कुछ खाना है
तो साफ माना कर देती है
फिर थोड़ी देर बाद
आपके सामने अपकिमंचही चीज होती है
मां भी कितनी अजीब होती है।
मां भी कितनी अजीब होती है
कहने को तो दिन भर चिल्लाती रहती हैं
पर एक दिन भी ना चिलाएं
तो हमारे मन को तसल्ली नहीं मिलती है
मां भी कितनी अजीब होती है।
मां भी कितनी अजीब होती
कि घर के हर सदस्य की जगह ले सकती है
पर मां की जगह ले सके
ऐसा कोई मनुष्य उस इश्वर ने बनाया है नहीं
क्या कह सकता ह कोई
मां के बारे में
मां जैसा कोई और बना ही नहीं है
मां भी कितनी अजीब होती है।।
© All Rights Reserved
पहले डांटती है
फिर गले लगा लेती है
मां भी कितनी अजीब होती है।
मां भी कितनी अजीब होती है
खुद को बुखार हो
तो हमे अपने से दूर कर देती है
और हमे बुखार हो
तो हमे अपने से चिपकाए रखती है
मां भी कितनी अजीब होती है।
मां भी कितनी अजीब होती है
बोलो की कुछ खाना है
तो साफ माना कर देती है
फिर थोड़ी देर बाद
आपके सामने अपकिमंचही चीज होती है
मां भी कितनी अजीब होती है।
मां भी कितनी अजीब होती है
कहने को तो दिन भर चिल्लाती रहती हैं
पर एक दिन भी ना चिलाएं
तो हमारे मन को तसल्ली नहीं मिलती है
मां भी कितनी अजीब होती है।
मां भी कितनी अजीब होती
कि घर के हर सदस्य की जगह ले सकती है
पर मां की जगह ले सके
ऐसा कोई मनुष्य उस इश्वर ने बनाया है नहीं
क्या कह सकता ह कोई
मां के बारे में
मां जैसा कोई और बना ही नहीं है
मां भी कितनी अजीब होती है।।
© All Rights Reserved
Related Stories