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चाहता हू...
दोस्त ये समझदारी मुझे धीरे धीरे मार रही है
मैं नादानों वाली एक हसीं शाम चाहता हूं
तुम चाहते होंगे पहचान इस जहान में अपनी
मैं तो मौत भी अपनी गुमनाम सी चाहता हूं।
ज़िंदगी है तो दुख भी आएँगे जरूर
बस मै हर गम में अपने चेहरे पर ख़ुशी चाहता हू...✍
jaswinder chahal
15/5/2024
© All Rights Reserved
मैं नादानों वाली एक हसीं शाम चाहता हूं
तुम चाहते होंगे पहचान इस जहान में अपनी
मैं तो मौत भी अपनी गुमनाम सी चाहता हूं।
ज़िंदगी है तो दुख भी आएँगे जरूर
बस मै हर गम में अपने चेहरे पर ख़ुशी चाहता हू...✍
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