...

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एक सवाल खुद से है
अर्थहीन जीवन का
अर्थ ढूंढने निकली हूँ
कही संघर्ष तो कहीं
रिश्तों की मर्यादा
ढूंढने निकली हूँ

छोटे से इस जीवन
का अर्थ ढूंढने निकली हूँ
व्यर्थ गवाएं जीवन
इस अन्तर मन का
सम्पर्क ढूंढने निकली हूँ

सूरज की किरणो में
सुबह ढूंढने निकली हूँ
चांद की चांदनी में
रात ढूंढने निकली हूँ
अर्थहीन जीवन का
अर्थ ढूंढने निकली हूँ
Dr Shelja kaul Pandita